No. 1, August 2019

Foundation Publication

साथियों , ‘प्रवाह’ सदा की तरह एक गतिमान संकल्पना के साथ आपके सम्मुख प्रस्तुत है। ‘प्रवाह’ की इस यात्रा में हमने कई तरह के प्रयोग किये और जानने की कोशिश की कि किस तरह का प्रारूप इसके लिये मुफीद रहेगा। शिक्षा के विमर्श में हमारी यह समझ बनी है कि मात्र वैचारिक स्तर पर बातें करने से बहुत कुछ नहीं बदलता। बदलाव की प्रक्रिया में यह जरूरी हो जाता है कि जमीनी स्तर पर बात की जाय। यह वर्ष महात्मा गंाधी की 150वीं वर्षगंाठ के रूप में भी मनाया जा रहा है और यदि हम गांधी जी के दर्शन को समझने का प्रयास करें तो देखेंगे कि उन्होंने इस दर्शन को गढ़ने में ठोस जमीनी अनुभवों एवं प्रयोगों का सहारा लिया था और स्वतंत्रता आंदोलन में इसको कार्यरूप देने में भी जमीनी मुद्दों को ही आधार लेकर लड़ाई लड़ी थी, चाहे वह चंपारन का नील सत्याग्रह हो या नमक आंदोलन।

October, 2019
राजेश्वरी बिष्ट
नैना सिंह डंगवाल