No. 2, December 2019

Foundation Publication

सीखना तभी बेहतर होता है जब उसमें सीखने वाले की इच्छा शामिल होती है। यह व्यवहार से जुड़ी हुई बात है। इसके उदाहरण खुद के जीवन से जोड़ते हुए शिक्षकों व बच्चों के जीवन से जोडकर भी देखे जा सकते हैं। जरा सोचें कि हम जब विद्यालय में थे तो कौन सी कक्षा, कौन से विषय और कौन से शिक्षक हमें बहुत अच्छे लगते थे। उस अच्छे लगने की वजह क्या थी। किन कक्षाओं का इंतजार रहता था और किन शिक्षकों से बात करने का मन करता था। यह अच्छा लगना ही सीखने की बुनियाद है। शिक्षा में इसका खास महत्व है। इस अच्छे लगने और सीखने के रिश्ते जहां जितने मजबूत हैं, वहां सीखना उतना ही बेहतर हो रहा है। ऐसे स्कूलों के उदाहरण कम नहीं हैं, जहां बच्चे बहुत उत्साह के साथ स्कूल आते हैं और वो पूरा दिन खुश दिखाई देते हैं।. छुट्टी की घंटी से वो खुश नहीं बल्कि उदास होते हैं। इन बच्चों के सीखने का स्तर उन बच्चों से बेहतर होता है जिनका विद्यालय आने का मन नहीं करता।

April, 2020
शूरवीर सिंह खरोला
पारुल बत्रा दुग्गल
पदमाप्रिया शिराली
यशवेन्द्र सिंह रावत
मोअज्जम अली
जगजीत सिंह दफौटी
जगमोहन चोपता